अथ श्रीदत्तात्रेय स्तोत्र (हिंदी)
जय गुरु श्रीदत्तात्रेय जी, गुणातीत भगवान ।
निराकार साकार हो, दें जीवों को ज्ञान ॥१॥
सकल देव पूजन करें, करें वेद गुणगान ।
हरि हर ब्रह्मादिक कहें, जय जय भगवान ॥२॥
मार्गशीर्ष के मास में, तिथि चौदश भृगुवार ।
जगतारण कारण प्रभु, आये धर अवतार ॥३॥
अनुसूया माँ धन्य हैं, धन्य अत्रि पितु जान ।
जिनके गृह अवतार ले, पावन किया जहान ॥४॥
बाल छवि मुख कमल पर, लट मधुकर मंडरात ।
लीलाधारी दत्त प्रभु, योग भोग दरशात ॥ ५ ॥
रक्त वर्ण सुन्दर वपु, भस्मांकित द्युतिमान ।
सुन्दर लोल विशाल दृग, जय गुणरूप निधान ॥६॥
शोभित कंबू कंठ में, केयूरन की माल ।
जय करुणाकारी विभो, जय भक्तन प्रतिपाल ॥७॥
जटा मुकुट मण्डित प्रभु, भस्म विभूषित भाल ।
सुन्दर युग कुण्डल कर्ण, जय जय श्रीदत्त दयाल ॥८॥
दण्डी वैरागी प्रभु, वेष दिगम्बर धार ।
ब्रह्मचर्ययुत ज्ञानमय, जय जय जगदाधार ।।९।।
ब्रह्मलोक भूलोक में, दण्ड कमण्डलु धार ।
विचरत पाणिपात्रधर, जय प्रभु अत्रि कुमार ॥१०॥
करें स्नान काशीपुरी, मातापुर में शयन ।
भोजन पंचालेश्वरी, जय करुणा के अयन ॥ ११ ॥
भुक्ति अरु मुक्ति प्रभु, करते सदा प्रदान ।
भयत्राता पंकजवदन, जय शोभा की खान ॥१२॥
कार्तवीर्य को वर दियो, पूर्ण किये सब काज ।
मंगलमय मंगल करन, श्रीदत्तात्रेय महाराज ॥१३॥
भूतों की बाधा हरें, यह दुःख हरें महान ।
दीनन दुःख हारी प्रभु, नमो नमो भगवान ॥ १४ ॥
सर्वसाक्षी करुणालय, मुक्ति देवन हार ।
जय जय जय श्रीदत्त प्रभु, निराधार आधार ॥१५॥
परसत चरणों से किया, सर्वतीर्थ सुख धाम ।
ऋषि मुनिगण वंदन करें, निजानन्द गुण धाम ॥ १६ ॥
कर्म पाश सब छोड़कर हो जाते भव पार ।
करुणा जिस पर आपकी हो जाये इक बार ।।१७।।
पुत्र धान्य धन सम्पदा, अरु राजा से मान ।
देनहार प्रभु आप हैं, प्रेमी के भगवान || १८ ||
स्तोत्र श्रीदत्त भगवान का, जो गावे त्रयकाल ।
रोग शोक अरु मौत का, भय नासे तत्काल ।।१९।।
कूष्माण्ड और डाकिनी, यक्ष पिशाच महान ।
नाशत स्तोत्र प्रताप से, यह निश्चय करि जान ॥२०॥
दोहे बार हजार ये, पढ़ते जो मन लाय ।
प्रेमी उनको सत्य ही, दर्शन दे श्रीदत्तराया ॥२१॥
॥ इति श्रीदत्तात्रेय कवच संपूर्णम् ॥