जागीये विशाल लाल माल्हनी दुलारे ।
जागीये विशाल लाल..
जागीये विशाल लाल माल्हनी दुलारे ।
कमलकांत कमल नयन भगत जन आधारे ||धृ० ॥
रैन बीती प्रगट भानु कान्ति हीन तारे ।
केलि करत नाचे मोर, काग बोले हा रे ॥१॥
योगी यति धरत ध्यान, देवी देव सारे ।
नारद तुम्बर करत गायन, वेद ध्वनि उचारे ॥२॥
आठो भगत चारो ज्ञानी, आन खडे द्वारे ।
जागिए कृपा निधान, दीनन के सहारे ॥३॥
भगतों सहित नागदेव, आरती उतारे ।
जयतु मंगल मंगला, प्रेमी जन उचारे ॥४॥